
फकीरों की दहलीज का म%E
Read Count : 56
Category : Poems
Sub Category : N/A
फकीरों की दहलीज का मोहताज बन जाना
धर्म कि धरोहर का सरताज बन जाना
कुछ बनना जरूर लेकिन अटूट "मुकेश"
जीवन के सफर में जांबाज बन जाना।।
अब आने वाला है इंतहान कड़ा
क़दम-क़दम पर नजरबाज बन जाना।।
दस्तूर बेशक है दुनियां का रुलानेवाला
सबके दिलों में जिंदा सुखनसाज बन जाना।।
कभी अस्त नही होगा तुम्हारी उम्मीद का सूरज
युधिष्ठिर कि भांति धर्मराज बन जाना।।
मुलाजिम बनके रहो खुदा कि नेमत में सदा
नेकदिल खुदा कि आवाज बन जाना।।
वो कौन है जो डूबा नही इश्क में अब तक
इश्क में मगरूर बेलिहाज बन जाना।।
कभी गलीज न हो हमारा व्यवहार जहां में
न मिटने वाला इम्तियाज बन जाना।।
जब दुस्साहस करे कोई तुम्हें गिराने का बेशक
तब प्रचंड रूप लेकर नटराज बन जाना।।
अभी जिंदगी की आखरी कड़ी बाक़ि है "मुकेश"
भव से दूर जाने का अद्भुत जहाज बन जाना।।