
बस संवरती रहे
Read Count : 25
Category : Poems
Sub Category : N/A
वो गरजती रहे ,वो बरसती रहे ।मेरी जान है वो याद मुझे करती रहे ।ऐ खुदा तुझसे इतनी सिफ़ारिश मेरी ,वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।हो ना हैरान वो ,उसको एहसास दे ।मैं भी खुश हूं यहां, बस तेरे वास्ते ।जब भी मौका मिले ,अपनेपन से उसे ,मेरी खातिर दुआएं भी करती रहे ।वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।रौशनी दे गई ,मोम सी गल गई ।मुझको दरिया बना बर्फ में ढल गई ।उसको जीना पड़े ना बंदिशों में कभी ,कैद हो ना कभी वो महकती रहे ।वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।✍️ धीरेन्द्र पांचाल